वाराणसी। राष्ट्रीय सेवा योजना की बीएचयू इकाई की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत इंडिया @ 2047 और प्रधानमंत्री के पांच प्रण विषय पर सोमवार को युवा संवाद का आयोजन सामाजिक विज्ञान संकाय के गांधी सभागार में किया गया।
भारत सरकार के युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के निदेशक डॉ. अशोक श्रोती ने युवा संसद का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम सब ने एक विकसित भारत का संकल्प लिया है, जिसे 2047 तक पूरा करना है। इसके लिए प्रधानमंत्री के पांच प्रण को हमें अपने जीवन में शामिल करना है और तभी हम भारत को जगतगुरु के आसन पर स्थापित कर सकेंगे।
मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड के संयोजक राम आशीष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पांच प्रण की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर काम करना होगा। इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना है । विकसित भारत हमारा पहला संकल्प है।
इसके अलाव हमें गुलामी की मानसिकता से आजादी हासिल करनी होगी। संकल्प जब बड़े होते हैं तो उसे सफल बनाने में भी लोगों को जोड़ने में कामयाबी मिलती है। हमें गुलामी के अहसास को हर हाल में भुलाना होगा। हमारी आदतों में गुलामी का कोई अंश है तो उसे निकालना होगा।
अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व करने की जरुरत है, हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। भारत की सांस्कृतिक विरासत दुनिया को रास्ता दिखाता है। हम सबको मिलकर अपनी विरासत के प्रति गर्व का भाव विकसित करना चाहिए। यह हम सबका तीसरा प्रण है।
चौथे प्रण को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें एकता और एकजुटता पर जोर देना होगा। एकता में बड़ी शक्ति है। एकजुटता हमें किसी भी मुश्किल परिस्थिति का सामना करने की ताकत देता है। अगर 135 करोड़ भारतीय एकजुट हो जाएं। हम अपने और पराये के भाव से ऊपर उठें तो विकास की रफ्तार को तेज करने से कोई हमें नहीं रोक सकता है। पांचवां प्रण जो अत्यंत महत्वपूर्ण है वह है भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य। नागरिकों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। नागरिकों का कर्तव्य देश के लिए होना जरूरी है। कर्तव्यों के प्रति जागरूक नागरिक ही देश को प्रगति की राह पर ले जाने में कामयाब होंगे।
अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुनीता सिंह ने किया। विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र ने कहा कि हमें जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा, लिंग, क्षेत्र आदि से ऊपर उठकर राष्ट्र को सर्वोपरि स्थान देना होगा तभी हम भारत राष्ट्र को 2047 में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र,सशक्त और विकसित राष्ट्र बनाने में सफल हो सकेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान संकाय की प्रमुख प्रो. वृंदा परांजपे ने भारत राष्ट्र को 2047 में विकसित राष्ट्र बनाने के विभिन्न उपादान पर चर्चा की। इस अवसर पर प्रो. मनोज मिश्रा, डॉ. छविनाथ उपाध्याय, डॉ. संतोष पांडे, डॉ. अजय कुमार, डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडे, सुधीर कुमार, अंजलि त्यागी, विवेक रंजन, अनुज दुबे ने विचार व्यक्त किये।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अशोक सोनकर ने किया।
इस अवसर पर G 20 पर आधारित प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सुब्रत शर्मा को प्रथम, उज्ज्वल कुमार और अंजलि त्यागी को द्वितीय तथा अमन प्रजापति और अनुज दुबे को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।