वाराणसी। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है, कि सबके विकास का लक्ष्य हासिल किया जा सके। वह रविवार को बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के अर्थशास्त्र विभाग में विद्यार्थियों के साथ “भारत को एक आर्थिक वैश्विक शक्ति बनाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य और रणनीति” विषय पर संवाद कर रही थीं।
छात्रा प्रतीक्षा शुक्ला, द्वारा ग्रोथ बनाम इक्विटी (सब तक विकास का लाभ पंहुचे) विषय पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार समान विकास के मुद्दे पर अधिक जोर दे रही है। “आप सबके विकास की कीमत पर निरन्तर विकास की बात नहीं कर सकते। जब तक निजी और सार्वजनिक निवेश एक साथ नहीं होते हैं, तब तक ऐसे नतीजे सामने नहीं आ पाएंगे, जिनकी आवश्यकता है, व जिनसे सभी तक विकास के लाभ पंहुचाना संभव हो सकता हो।”

महिला महाविद्यालय की छात्रा नीतिका खंडेलवाल द्वारा रोज़गार के विषय पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि रोजगार अब स्वरोजगार की ओर अधिक उन्मुख है और सरकार एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर ज़ोर दे रही है, जिसमें लोग रोजगार सृजन में सक्षम हों और दूसरों को काम उपलब्ध कराएं। ग्रामीण रोजगार चुनौतियों के संबंध में, उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण युवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में चुनौतियों के अभिनव समाधान के साथ आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिसे नीतियों, वित्त पोषण और सुविधाओं की मदद से रोजगार के अवसरों में परिवर्तित किया जा सके। उन्होंने कहा कि, ग्रामीण आबादी के प्रशिक्षण और कौशल विकास, स्वयं सहायता समूहों का सहयोग व वित्तपोषण और कई अन्य उपायों से ग्रामीण रोजगार की चुनौती से निपटा जा सकता है।
स्नातकोत्तर छात्र वरुण यादव ने विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की रणनीति के संबंध में पूछा। वित्त मंत्री ने कहा कि विभिन्न कारणों से भारत में नीतियां, विनिर्माण क्षेत्र को उस तरह से आगे बढ़ा पाने में सक्षम नहीं थी, जैसी प्रगति इस क्षेत्र की होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र कुछ देशों की आक्रामक मूल्य निर्धारण नीतियों का भी शिकार रहा है, जिसकी वजह से भारत में इस क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। उन्होंने एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रीडिएंट (API) का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में भारत अत्यंत मज़बूत स्थिति में था, वहां भी देश पिछड़ रहा था।
उन्होंने बताया, “सरकार अब सही दृष्टिकोण और नीतियों के साथ इस क्षेत्र में तेजी से विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।” श्रीमती सीतारमण ने Covid19 महामारी के काल का उल्लेख करते हुए कहा कि एक स्थिति तब थी जब भारत पीपीई और वेंटिलेटर की भारी कमी का सामना कर रहा था, और एक स्थिति वह आई जब भारत दूसरे देशों की मदद करने में सक्षम बना। यह स्पष्ट करता है कि देश सही राह पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की पहल इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
वित्त मंत्री ने छात्रों के साथ बातचीत का अवसर उपलब्ध कराने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बीएचयू एक अनूठा और बहुत प्रतिष्ठित संस्थान है जिसने अपने छात्रों के लिए इस तरह के कार्यक्रम की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि उन्हें बीएचयू जैसे संस्थान में पढ़ने का मौका मिलता है जहां वे पुस्तकीय ज्ञान तो अर्जित करते ही हैं, साथ-साथ जीवन मूल्यों व सिद्धांतों से भी अवगत होते हैं।
स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिए नए अवसर सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वे न केवल बौद्धिक और पेशेवर रूप से विकसित हों बल्कि समाज व देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी तैयार हों। उन्होंने कहा कि बीएचयू का ध्येय राष्ट्र निर्माण करना है और यह किसी भी अन्य शैक्षणिक संस्थान से बहुत अलग है। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. भूपेंद्र विक्रम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच पर सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बिंदा परांजपे भी मौजूद थीं। वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्र विभाग के न्यूज़लेटर का भी विमोचन किया।