वाराणसी। विज्ञान की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं इसे रोजगार के रूप में भी अपना सकते हैं। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (नासी) इस दिशा में काफी समय से कार्य कर रहा है। इसी पर आधारित एक व्याख्यान और प्रयोगशाला भ्रमण कार्यक्रम बीएचयू में आयोजित किया गया।
‘नवोदित महिला वैज्ञानिकों का पोषण’ शीर्षक से एक दिवसीय विज्ञान समाज कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने वाराणसी समेत पूर्वांचल के नौ सरकारी स्कूलों से आई 58 चुनी हुई छात्राओं के बीच विशेषज्ञों ने अनुभव बांटे। नासी वाराणसी चैप्टर की चेयरपरसन प्रो. मधुलिका अग्रवाल ने बताया कि यह राष्ट्रीय मंच छात्राओं को वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर जागरूक कर रहा है। साथ ही उन्हें विज्ञान को रोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित भी कर रहा है। महिला महाविद्यालय की प्रो. नीलम श्रीवास्तव ने कहा कि यह कार्यक्रम युवा महिलाओं को बुनियादी विज्ञान में उच्च अध्ययन के जरिए अपने भविष्य की योजना बनाने में मदद, प्रेरित और प्रोत्साहित करेगा।
जीव विज्ञान विभाग के प्रो. जेके रॉय और भौतिकी विभाग के प्रो. अभय कुमार सिंह ने भी अनुभव बांटे। प्रो. रॉय ने छात्रों को जेनेटिक्स और कैंसर अनुसंधान की दुनिया से परिचित कराया और इस क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुई खोजों की जानकारी दी। प्रो. अभय ने छात्राओं को बताया कि किस प्रकार उन्होंने पिछले वर्षों में गुब्बारों के जरिए वाराणसी और इसके आसपास वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर जानने के लिए परीक्षण किए थे। इन परीक्षणों को लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कौतूहल था, क्योंकि ये गुब्बारे जहां गिरते थे, वहां लोग सशंकित हो जाते थे। हालांकि परीक्षण से जुड़ी टीम गुब्बारों का लोकेशन लेते हुए वहां पहुंचकर लोगों का भ्रम दूर करती थी।
छात्राओं ने विश्वविद्यालय की विभिन्न विज्ञान और अनुसंधान प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया और वहां हो रहे कार्यों की जानकारी ली। प्राध्यापकों ने भी उन्हें पूरे उत्साह के साथ विभागों में हो रहे अनुसंधानों के बारे में बताया। इन छात्राओं का चयन नासी ने फरवरी में आयोजित प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया था। इन्हें 800 छात्राओं के बीच से चुना गया। सत्र का संचालन नासी टीम के सदस्यों प्रो. ऋचा रघुवंशी, डॉ. शैलजा एस. सुनकारी और डॉ. गौतम गीता जीवात्रम ने किया।