वाराणसी। बीएचयू के भूभौतिकी विभाग में भूकम्प की पूर्व चेतावनी विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन सोमवार को आईआईटी मुम्बई के वैज्ञानिक डॉ. आनंद सिंह ने भूभौतिकीय डाटा के आधार पृथ्वी की उपसतह की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विकसित देशों में भूकम्पीय तरंगों में अंतर के आधार पर 60 सेकंड पूर्व भूकम्प चेतावनी प्रणाली को विकसित किया जा रहा है।
व्याख्यान के प्रथम सत्र में उन्होंने भूकम्प आने के पश्चात पृथ्वी सतह पर मानव निर्मित निर्माण जैसे खनन रेलवे बड़ी इमारतों के कारण उपसतह में होने वाले कम्पन्न से प्रकृति कितनी अस्थायी होगी, इसकी जानकारी दी। इस कम्पन्न से कैसे भूकम्पीय डाटा एकत्रित किया जाए और उस डाटा का प्रयोग करके भू सतह के नीचे की होने वाली क्रिया को कैसे पता किया जाए इसकी जानकारी दी। डॉ. सिंह ने बताया कि इस भूकम्पीय डाटा के आधार पर भूकम्प आने वाले स्थान से कोई दूसरा स्थान 200 किमी दूर है तो एक मिनट पहले भूकम्प की पूर्व चेतावनी सिस्टम को विकसित किया जा सकता है। इसके आधार पर वहां होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
60 सेकंड पहले रेलवे सर्जरी और अन्य गतिविधियों को रोककर मानव को होने वाले नुकसान से बचाया जा है। दूसरे सत्र में उन्होंने 60 सेकंड पहले पूर्व चेतावनी प्रणाली को उस भूभौतिकी डाटा के आधार पर सॉफ्टवेयर के माध्यम कैसे विकसित किया जाता है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रोहताश कुमार ने प्रारम्भ में छात्रों कार्यशाला की जानकारी दी और बताया कि यह कार्यशाला विज्ञान और प्राद्यौगिकी मंत्रालय के द्वारा आयोजित की गई है। इसका लाभ छात्रों को उठाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यप्रकाश मौर्या ने किया।