वाराणसी। वर्टिकल फार्मिंग (खड़ी खेती) के जरिए किसान न सिर्फ बेहतर उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि फसल की सुरक्षा भी बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
रामनगर के भीटी गांव में “किसानों के द्वार” पहुंचकर बीएचयू के पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के सीनियर असिस्टेंट डॉ. जेपी वर्मा ने खड़ी खेती से किसानों को परिचित कराया। उन्होंने बताया कि किसान इस पद्धति से किचन गार्डन में भी सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं। किसानों को जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करने के प्रति जागरूक किया गया। उन्हें रासायनिक खाद से होने वाली हानि के बारे में जानकारी दी गई।
डॉ. वर्मा संस्थान में जैव उर्वरक और बायोडीकंपोजर पर गहन शोध कर रहे हैं। इसके अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि वर्टिकल फ़ार्मिंग (खड़ी खेती) में पोधों को बहु सतही ढांचे में उगाया जाता है। इसमें बीज का उपचार करते हैं। पौधे की जड़ो, कंद और मिटटी का भी उपचार करते हैं। इससे उत्पादन में वृद्धि होती है तथा अनाज के दाने सुडौल, स्वस्थ और स्वादिष्ट होते हैं। इसके अलावा मिटटी की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है।
कार्यक्रम में लगभग 100 किसान उपस्थित थे। किसानों को जैविक उर्वरक और पालक, लौकी, कोंहड़ा, धनिया, चौराई के बीज वितरित किए गए। शोध छात्र अर्पन मुखर्जी, आनंद कुमार गौरव, दीपक कुमार ने भी किसानों को अहम जानकारियां दीं।