वाराणसी। उत्तर प्रदेश के आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालू ने कहा है कि बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के दंत चिकित्सा संकाय में आधुनिकतम सुविधाएं दिलाने का प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल और आसपास के राज्यों के मरीजों के बेहतर इलाज की बड़ी जिम्मेदारी इस संकाय पर है।
संकाय में “माइल्ड ऐंड मॉडरेट डिफिकल्टी केसेज इन डेंटल इम्प्लांटोलॉजी” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुक्रवार को उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि शिक्षा के अलावा बीएचयू स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी बड़ी जिम्मेदारी निभा रहा है। पूर्वांचल और आसपास के राज्यों के अलावा नेपाल से भी लाखों मरीज यहां सर सुंदरलाल अस्पताल में इलाज कराने आते हैं। इतनी बड़ी भीड़ को संभालने और इलाज करने के लिए जिन संसाधनों की जरूरत है, वह यहां उपलब्ध कराई जाती रही है। विश्वविद्यालय ने मल्टीस्पेशियालिटी विंग, महामना कैंसर संस्थान, ट्रॉमा सेंटर के रूप में मरीजों की राहत के लिए बड़े कदम उठाए हैं।
दयालू ने कहा कि कैंसर अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही इनपर काम शुरू हो जाएगा। इसके अलावा हम दंत चिकित्सा संस्थान में भी आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
विज्ञान एवम् तकनीकी मंत्रालय, भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था- DST की प्रतिनिधि डॉ. अनीता अग्रवाल ने विभाग की तरफ से दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान की इंप्लांट पद्धति पर किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा तथा हर प्रकार के तकनीकी सहयोग का आश्वासन दिया।
दंत चिकित्सा विज्ञान की ओर से आयोजित इस कार्यशाला के संयोजक प्रो. राजेश बंसल ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य सहज, सरल व कम कीमत पर इंप्लांट पद्धति से कृत्रिम दंत प्रत्यारोपण के द्वारा साधारण व गरीब मरीजों को भी लाभ पहुंचाना है ।
अतिथियों का स्वागत संकाय के डीन प्रो. विनय कुमार श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ चंद्रेश जैसवारा ने किया। इस कार्यक्रम में प्रो. वकील सिंह प्रो. बीएम गुप्ता विनय गुप्ता प्रो. बीएन सिंह, शैलेंद्र किशोर पाण्डेय ‘ मधुकर ‘, डॉ मोनिका बंसल, डॉ. नरेश शर्मा, डॉ. एचसी बरनवाल, डॉ. रमेश सोनी, डॉ. नीरज धीमान ,डॉ. अमित शर्मा उपस्थित रहे।
दंत प्रत्यारोपण हल्की व मध्यम तकनीकी समस्याओं का निवारण है, जिसमें कृत्रिम दांतो को लगाते समय होने वाले मध्यम एवम् अतिमध्यम स्तर की समस्याओं के निवारण के संबंध में देश भर के दर्जनों दंत चिकित्सा संस्थानों से आए हुए 100 से ज्यादा प्रतिनिधि विचार – विमर्श के साथ ही विषय विशेषज्ञों से प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य मरीजों की दांतों को इंप्लांट की सुविधाजनक व सहज तकनीक को विकसित करने के क्रम में विषय विशेषज्ञों को नई तकनीक के माध्यम से प्रशिक्षित करना है। कार्यशाला में पुराने इंप्लांट के मरीजों को बुलाकर उनका फीडबैक ( प्रतिपुष्टि ) भी लिया जाएगा।