वाराणसी। बीएचयू परिसर में प्रशासनिक तंत्र को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद शुरू हो गई है। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की ओर से इसके लिए गठित तीन पूर्व अनुभवी अधिकारियों की समित ने गुरुवार को परिसर के कई भवनों का निरीक्षण किया। यह समिति प्रशासनिक व्यवस्था की जटिलताओं को खत्म कर इसे कुशल और सरल बनाने के बारे में सुझाव देगी।
समिति के अध्यक्ष भारत सरकार में पूर्व सचिव पवन अग्रवाल तथा सदस्य पूर्व उप नियंत्रक व महालेखापरीक्षक, भारत सरकार, पराग प्रकाश ने परिसर के प्रमुख कार्यालयों व भवनों का दौरा किया तथा वहां कामकाज की प्रक्रिया, संसाधन प्रबंधन, उपयोग व इष्टतम प्रयोग का जायज़ा लिया। समिति की सचिव विश्वविद्यालय की संयुक्त कुलसचिव डॉ. सुनीता चन्द्रा भी दौरे के समय उपस्थित रहीं।
केन्द्रीय ग्रंथालय में समिति के सदस्यों को विभिन्न अनुभागों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। पुस्तकालयाध्यक्ष तथा लाइब्रेरीकर्मियों द्वारा पुस्तकों, शोधपत्रों तथा प्रकाशनों तथा सुविधाओं के बारे में समिति को अवगत कराया गया। समिति के प्रमुख श्री पवन अग्रवाल ने पुस्तकालय में उपस्थित विद्यार्थियों से संवाद किया तथा पुस्तकालय की सुविधाओं को प्रयोग करने में आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी ली। समिति के सदस्यों ने यूजीसी-मानव संसाधन विकास केन्द्र का भी दौरा किया तथा केन्द्र के कार्यक्रमों व गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
समिति ने केन्द्रीय कार्यालय तथा उसके प्रमुख अंगो जैसे प्रशासन व वित्त, सेन्ट्रल डिसकवरी सेन्टर तथा अन्य भवनों का भी दौरा किया। समिति ने विश्वविद्यालय के प्रमुख अधिकारियों जैसे वित्ताधिकारी, परीक्षा नियंता, मुख्य आरक्षाधिकारी तथा छात्र अधिष्ठाता के साथ भी चर्चा की। समिति के सदस्यों ने प्रशासनिक ढांचे की क्षमता व उत्पादकता बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों तथा कर्मचारियों से सुझाव मांगे तथा उन्हें पेश आने वाली चुनौतियों के बारे में भी जानकारी ली।
प्रशासनिक सुधार समिति विश्वविद्यालय की मौजूदा प्रशासनिक व ढांचागत व्यवस्था की समीक्षा कर रही है तथा प्रशासन की कार्यक्षमता बढ़ाने व उसे अधिक प्रतिक्रियाशील बनाने के उपाय सुझाएगी। समिति प्रशासनिक व वित्तीय मामलों में विभिन्न विभागों की भूमिका पर गौर करने के साथ साथ उन्हें पुनर्परिभाषित करेगी। साथ ही विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय के साथ कामकाज, विलंब कम करने, कामकाज को निर्धारित समय पर पूर्ण करने, कार्यक्षमता, जवाबदेही, पारदर्शिता तथा वित्तीय अनुशासन लाने के लिए सुझाव देगी।
शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, में पूर्व संयुक्त सचिव, श्री आर. डी. सहाय भी समिति के सदस्य हैं।