वाराणसी। किसानों को किचन गार्डन तथा घर की छत पर रसायन प्रयोग से मुक्त सब्जी उत्पादन को प्रेरित करने के लिए चोलापुर के ग्राम-बहदुरपुर में पालक, चौराई, नेनुआ, तरुई, लौकी एवं कोहरा की उत्तम किस्मों एवं 60 मिली जैव उर्वरक का वितरण किया गया। ये वितरण कृषक बैठक एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के दौरान किया गया।
यह कार्यक्रम बीएचयू के पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने आयोजित किया। यह कार्यक्रम डीएसटी, भारत सरकार, द्वारा प्रायोजित परियोजना “वाराणसी जिले के अनुसूचित जाति के किसानों के घर पर खड़ी खेती के माध्यम से जैविक सब्जी उत्पादन के लिए कम लागत वाली तकनीक का विकास” के तहत आयोजित किया गया।
डॉ. वर्मा उत्तर प्रदेश के बहु-फसल उत्पादन के लिए माइक्रोबियल इनोकुलेंट्स विकसित करने के लिए जैव उर्वरक, बायोडीकंपोजर, बायोकंट्रोलिंग एजेंट, पीजीपीआर, एंडोफाइट्स पर 15 वर्षों से शोध कर रहे हैं। उन्होंने और उनकी टीम ने आजमगढ़, जौनपुर, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, इलाहाबाद, सोनभद्र, लखनऊ, प्रतापगढ़, मेरठ, बलिया, गाजीपुर और गोरखपुर आदि से राइजोस्फीयर मिट्टी एकत्र की और मृदा रोगाणुओं को अलग किया। इसके बाद पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले गुणों का मूल्यांकन किया। डॉ. वर्मा ने किचन गार्डनिंग और किचन वेस्ट से कम्पोस्ट बनाने के बारे में भी बताया और कहा कि इसका उपयोग सब्जी उत्पादन के लिए अपने बगीचे में या किसी प्लास्टिक टब में वर्टिकल फार्मिंग सेटअप के तहत अधिकतम सब्जी और हरी पत्तेदार सब्जी का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है।