वाराणसी। प्रदेश के आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र दयालू ने कहा कि देशी गायों का संरक्षण भविष्य के लिए सुखद संकेत हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी गायों के दुग्ध उत्पादनों से किसानों को काफी लाभ होगा।

बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के काय चिकित्सा विभाग और नागपुर के गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी का शुक्रवार को उद्घाटन करते हुए राज्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार गौमाता, नदियों एवं धरती माता, आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं, जिसके शीघ्र ही उत्साहजनक परिणाम दिखाई देंगे। उन्होने कहा कि वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा तथा वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयुष मंत्रालय को विशेष महत्व दिया गया। प्रधानमंत्री के मार्ग-दर्शन में देशी एवं पारम्परिक चीजों का उत्थान आरम्भ हुआ। उत्तर प्रदेश सरकार गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना कर रही है।
अध्यक्षीय उदबोधन में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एसके सिंह ने कहा कि देशी गाय का दूध अत्यंत पौष्टिक होता है। हम मरीजो को संतुलित मात्रा में दूध पीने की बात करते है। बच्चों के शारीरिक विकास में दूध की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. कमल नयन द्विवेदी ने देशी गाय कृषि एवं समग्र स्वास्थ्य जैसे विषय पर चर्चा होने की बात को महत्वपूर्ण बताया, उन्होने आयोजको को बधाई दी।
गो-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापार, नागपुर के समन्वयक सुनील मानसिंहका ने बताया कि देशी गायों, एवं पंचगव्य के माध्यम से लोगो को स्वस्थ्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में कायचिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. केएन मूर्ती ने भी विचार रखे। स्वागत अखिल भारतीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो. ओपी सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुनन्दा पेढे़कर ने दिया। मुख्य अतिथि ने संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया। संगोष्ठी में देश विदेश के लगभग 200 प्रतिभागी उपस्थित थे।
उदघाटन सत्र के पूर्व आयुर्वेद में पंचगव्य चिकित्सा विषय पर तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता प्रो. एसके तिवारी एवं प्रो. केके पाण्डेय ने किया। इस सत्र में भी सुनील मानसिंहका एवं प्रो. रोयना सिंह ने विचार रखे। तत्पश्चात शोध पत्र प्रस्तुत किये गये।