वाराणसी। पूर्वी हिमालय के सिंगलिला क्षेत्र में स्थित, दार्जिलिंग ऐतिहासिक रूप से सिक्किम और भूटान का भाग बोला जाता है। गोरखा इस क्षेत्र के मुख्य पापुलेशन हैं। इसके बाद लेप्चा, भूटिया, शेरपा और तिब्बती एथनिक लोग यहां निवास करते हैं। इन सभी पापुलेशन की अलग-अलग भौगोलिक उत्पत्ति है। इन विविधताओं को समझने के लिए उनके अन्थ्रोपोमेत्रिक और चिकित्सकीय मापदंडों का अध्ययन करना आवश्यक है।
ये डेटा बेहतर डायग्नोसिस के लिए भी आवश्यक हैं। इसलिए, कलकत्ता विश्वविद्यालय और बीएचयू से जुड़े वैज्ञानिकों की एक टीम ने चार हिमालयी आबादी – लेप्चा, भूटिया, शेरपा और तिब्बतियों के 178 व्यक्तियों के दस अन्थ्रोपोमेत्रिक और बायोकैमिकल मार्कर्स का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में यह देखने को मिला कि अत्यधिक ऊंचाई पर रहने वाली आबादी में वहां की असामान्य जलवायु से निपटने के लिए सामान्य से कम हीमोग्लोबिन और हाई ब्लड प्रेशर होता है। यह अध्ययन इस सप्ताह अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।
हिमालयी आबादी हजारों वर्षों से चुनौतीपूर्ण वातावरण में जीवित है। उनके जीनोमिक म्यूटेशन के कारण अनुकूलन ने उन्हें कम वायुमंडलीय ऑक्सीजन स्तर और अत्यधिक ठंडी जलवायु में भी आसानी से रहने में सक्षम बनाया है। इसलिए, इस टीम ने इस असाधारण अनुकूलन को दस मार्कर्स के द्वारा अध्ययन किया और: इन मापदंडो में शरीर का वजन, ऊंचाई, बीएमआई, ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, ब्लड ऑक्सीजन, हीमोग्लोबिन, हेमेटोक्रिट और ब्लड ग्लूकोज लेवल औसतन, उच्च ऊंचाई वाली आबादी, शेरपा और तिब्बतियों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 g/dl (14.9 g/dl कण्ट्रोल) से कम थी, और उनका औसत सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दबाव 142 mmHg (120 mmHg कण्ट्रोल) और 94 mmHg (80 mmHg कण्ट्रोल) था।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. राकेश तमांग ने कहा, “रक्त में तुलनात्मक रूप से कम हीमोग्लोबिन उच्च ऊंचाई वाली आबादी में बेहतर तरीके से रक्त परिसंचरण की सुविधा देता है, जिससे वे कम ऑक्सीजन का अधिक कुशलता से उपयोग कर पाते हैं।”
इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा की, “यह अध्ययन इस बात का समर्थन करता है कि किसी व्यक्ति के सही डायग्नोसिस के लिए उनकी एथनिसिटी का ज्ञान आवश्यक है।” उन्होंने आगे कहा कि शेरपा एक अत्यधिक महत्वपूर्ण उच्च ऊंचाई वाली जनजाति है, जो विपरीत वातावरण में भी रहने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। शोध ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि यह अध्ययन चुनौतीपूर्ण वातावरण में मानव अनुकूलन का एक प्रमुख उदाहरण है।