वाराणसी। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की पहल पर काशी विश्वनाथ धाम औऱ अयोध्या राम मंदिर से पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाई देने पर बीएचयू में 25 नवंबर को मंधन होगा। विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र और नई दिल्ली स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी में देश के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान इस बारे में सुझाव देंगे।
संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रो. उपेंद्र त्रिपाठी, संयोजक डॉ. नितिन कुमार जैन और आयोजन सचिव डॉ. प्रभाकर उपाध्याय ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि लोकसंवाद के जरिए अभिलेख तैयार किए जाएंगे, जिनके जरिए सरकार इन क्षेत्रों में बहुमुखी विकास की दिशा में आगे बढ़ सकेगी। डॉ. जैन ने बताया कि विकसित देशों में विश्वविद्यालय पठन-पाठन के अलावा अपनी सरकार के लिए थिंक टैंक की भूमिका भी निभाते हैं। पिछले आठ साल में भारत में भी ऐसा ही प्रयास किया जा रहा है। डॉ. जैन ने बताया कि इस संगोष्ठी के तीन आधार डायलॉग, डॉक्यूमेंटेशन और डेवलपमेंट हैं।
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि संगोष्ठी का उद्घाटन प्रदेश प्रभारी सुनील ओझा करेंगे। विशिष्ट अतिथि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय होंगे। सारस्वत अतिथि भारतीय पुरातत्व सर्वे के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. बीआर मणि होंगे। अध्यक्षता बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन करेंगे। इसमें प्रो. दीनबंधु पांडेय, प्रो. सीताराम दुबे, प्रो. कौशलेंद्र पांडेय, डॉ. डीपी शर्मा, डॉ. आरती शर्मा, डॉ. लक्ष्मणकुमार, प्रो. विजयशंकर शुक्ल, प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, डॉ हरिराम द्विवेदी, डॉ. प्रभाकर उपाध्याय, डॉ. पारुल, डॉ. रमन मिश्र आदि विद्वान विचार रखेंगे।
डॉ. प्रभाकर उपाध्याय ने बताया कि इस संगोष्टी से सामान्य लोगों को जोड़ने के लिए इसका आभासी पटल पर सजीव प्रसारण भी किया जाएगा। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी करेंगे।