वाराणसी। शोक पूर्वकालिक होता है। अतीत की घटना शोक की जनिका है। मोह वर्तमान काल का भाव है। भय का सम्बन्ध भविष्य काल से है और इन तीनों कालों अर्थात् शोक, मोह एवं भय का मिश्रण है विषाद, जो गीता के प्रथम अध्याय का प्रतिपाद्य है।
उक्त विचार बीएचयू के मालवीय भवन में रविवासरीय गीता प्रवचन के कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संस्कृृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राममूर्ति चतुर्वेदी ने व्यक्त किये। प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि यही विषाद सभी अघ्यायों में पल्लवित एवं पुष्पित हुआ है। इस अवसर पर संगीत एवं मंच कला संकाय की छात्राओं द्वारा पद गायन किया गया। मुख्य वक्ता को उत्तरीय प्रदान कर प्रो. उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने सम्मानित किया।
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत डॉ. शरदिन्दु कुमार त्रिपाठी ने किया संचालन प्रो. सुमन जैन ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आरपी मलिक ने किया। इस अवसर पर दीनानाथ झुनझुनवाला, प्रो. अजय कुमार मिश्र, डॉ. मृत्युंजय देव पाण्डेय सहित विश्वविद्यालय के अनेक अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित रहे।