वाराणसी। आयुर्वेद को चिकित्सा क्षेत्र में शीर्ष पर ले जाने के लिए बेहतर शोध करना जरूरी है। उत्तर प्रदेश में सांख्यिकी गणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद को स्थापित करने का पहला प्रयास किया गया है।
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय और कानपुर के इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड स्टैटिस्टिक्स की ओर से रिसर्च मेथडोलॉजी एवं जैव सांख्यिकी आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर ये बातें प्रो. सीमा द्विवेदी ने कहीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्य आयुर्वेद महाविद्यालयों में भी यह व्यवस्था जल्दी शुरू होगी।
इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड स्टैटिस्टिक्स के निदेशक डॉ. शुभम पाण्डेय ने बताया कि बीस हजार से ज्यादा मेडिकल प्रोफेशनल्स को वर्कशाप के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा चुका है। आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में यह पहला प्रषिक्षण केन्द्र है, जो छात्रों के थीसिस पेपर शोध की क्वालिटी बढ़ने के लिए अत्यधिक लोकप्रिय रहेगा। प्रो. जीएस तोमर ने बताया कि यह पहला नोडल सेन्टर आयुर्वेद संकाय में स्थापित किया जा रहा है और उसमें भी प्रशिक्षुओं की संख्या शुभांक 108 है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एसके सिंह ने बताया कि आयुर्वेद को माडर्न मेडिसीन के साथ इन्टीग्रेट करके शोधपरक कार्य विश्व के मानकों पर कार्य करने की वर्तमान में आवश्कयता है।
बीएचयू के रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला ने बताया कि नोडल केन्द्र विश्व में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है। मेरे करियर की शुरुआत में शोध में सांख्यिकी के महत्व की जानकारी हुई थी। मैंने इंग्लैंड में इसका कोर्स किया था। आज आयुर्वेद में संकाय में इसकी शुरूआत हो रही है। वर्तमान में आयुर्वेद में अत्यधिक शोध की सम्भावनाएं हैं। छात्र जल्द ही सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।
संकाय प्रमुख प्रो. केएन द्विवेदी ने बताया कि महर्षि चरक प्रोग्राम सांख्यिकीय की नोडल बनाने का सौभाग्य आयुर्वेद संकाय को मिला है। यह अत्यन्त हर्ष का विषय है। भविष्य में शोध के क्षेत्र में यह मील का पत्थर साबित होगा।
अतिथियों का स्वागत काय चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. केएन. मूर्ति ने किया। स्वस्थवृत्त एवं योग विभागाध्यक्ष डॉ. मंगला गौरी ने आभार जताया। संचालन सिद्धांत दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो. सीएस पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में प्रो. संगीता गहलोत, वैद्य सुशील कुमार दूबे, डॉ. अवनीश पाण्डेय, प्रो. बीएम सिंह, प्रो. दीपा मिश्रा, प्रो. सुनीता सुमन, प्रो. अनील सिंह, डॉ. हरिशंकर मिश्रा, प्रो. नीलम गुप्ता, प्रो. एएन सिंह उपस्थित रहे।