वाराणसी। ग्वालियर स्थित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान कार्यकर्ता सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर शनिवार को बीएचयू के कृषि विज्ञानियों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के कृषि उपमहानिदेशक डॉ. टीआर शर्मा रहे।
कृषि अनुसंधान परिषद और मेक्सिको स्थित अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र के महानिदेशक डॉ. ब्रैम गोवर्ट्स को उच्च उपज, जस्ता समृद्ध और गेहूं विस्फोट प्रतिरोधी किस्म एचयूडब्ल्यू 838 विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया। यह सीमित सिंचाई स्थितियों के लिए उपयुक्त है। गेहूं और जौ कार्यक्रम के प्रभारी प्रो. रमेश कुमार सिंह ने कहा कि इस किस्म में जिंक की मात्रा 41.8 पीपीएम है, जो वर्तमान में उगाई जाने वाली गेहूं की किस्म की तुलना में काफी अधिक है, जिसमें केवल 30-32 पीपीएम जस्ता है। यह किस्म भारतीय आबादी में जिंक और आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण ‘खराब पोषण’ की लगातार बढ़ती चुनौती को दूर करने में मदद करेगी। फंगल रोग, ‘व्हीट ब्लास्ट’ बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में गेहूं उत्पादकों के लिए एक उभरता हुआ खतरा है, जहां इस बीमारी ने पहले ही गेहूं की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। बीएचयू की गेहूं सुधार टीम, जिसमें इस किस्म के विकास में योगदान देने वाले कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. वीके मिश्रा, प्रो. रमेश चंद, प्रो. एसएसवैस और डॉ. संदीप शर्मा शामिल हैं।