वाराणसी। बीएचयू के प्रबंध शास्त्र संस्थान में शुक्रवार को एमबीए 1997 बैच के रजत जयंती सम्मिलन हुआ। 25 साल बाद मिले साथी तो पुरानी यादें ताजा हो आईं। कार्यक्रम की शुरुआत पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई, साथ ही 1997 बैच के पूर्व विद्यार्थियों ने कुलगीत की मधुर प्रस्तुति की |
संस्थान के निदेशक प्रो. एसके दुबे ने पूर्व छात्रों का स्वागत किया और पूर्व छात्रों के नेटवर्क के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने उनसे संस्थान और उसके छात्रों को निरंतर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने पूर्व छात्रों के नेटवर्क को जोड़े रखने की पहल करने के लिए आईएम बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन के जोश और उत्साह की विशेष रूप से सराहना की। उन्होंने पूर्व छात्रों से हमारे संस्थान में बार-बार आने और छात्रों के साथ बातचीत करने का भी अनुरोध किया।
डीन और हेड प्रो. एचपी माथुर ने पूर्व छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे कोविड महामारी ने इस तरह के आयोजनों को बाधित किया, लेकिन संकाय पूर्व छात्रों से हर संभव तरीके से मिलना जारी रखने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संकाय मुख्य रूप से अकादमिक पाठ प्रदान करने से संबंधित है, लेकिन यह पूर्व छात्र हैं जो व्यावहारिक ज्ञान एवं दिशा निर्देशन प्रदान करते हैं। उन्होंने उनसे अपने मूल्यवान अनुभवों को साझा करके छात्रों को सलाह देने और मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने पूर्व छात्रों से संस्थान को निरंतर सहयोग प्रदान करने का भी अनुरोध किया और उन्हें अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालने के लिए धन्यवाद दिया।
डॉ. राजकिरन प्रभाकर ने वास्तविक जीवन में व्यावहारिकता के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एक किताब को कभी भी उसके कवर से नहीं आंका जाना चाहिए क्योंकि जहां पहले बेंच वाले कंपनियों में शीर्ष स्थान प्राप्त कर सकते हैं, वहीं अक्सर अंतिम बेंच वाले ही सफल उद्यमी बनते हैं। सफलता का रोडमैप पूर्वनिर्धारित नहीं है।
डॉ. उषा किरण राय ने कहा कि जीवन के हर चरण में समर्थन और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि पूर्व छात्रों के कनेक्शन से संस्थान का नेटवर्क बनाने में मदद मिलती है। उन्होंने उनसे “देने और मदद लेने” के लिए हमेशा तैयार रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह मंच उनके बहुमूल्य अनुभवों को साझा करने का एक माध्यम है। इसके बाद उन्होंने पूर्व छात्रों से इस नेटवर्क को मजबूत करने के बारे में अपनी राय साझा करने के लिए कहा।
पूर्व छात्रा रचना मेहरा ने कहा कि हमें एक-से-एक संपर्क बनाए रखने का लक्ष्य रखना चाहिए और जब भी ऐसा अवसर मिले उसका पूर्ण लाभ उठाना चाहिए । वह 1995-97 बैच का विवरण साझा करने के लिए तुरंत तैयार हो गईं। उन्होंने संस्थान के पूर्व छात्रों को एक साथ लाने के लिए “वाराणसी/भारत की विरासत” के तहत एक कार्यक्रम की योजना बनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने यह भी सलाह दी कि संस्थान में उपलब्ध पाठ्यक्रमों में अधिक प्रवेश के लिए प्रचारित किया जाना चाहिए।
अनिल श्रीवास्तव एवं हिमांशु शेखर ने कहा कि वो पूर्व विद्यार्थियों से सालाना मिलने में रुचि रखते हैं इसलिए इस तरह की पहल की जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कॉर्पोरेट जगत के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के साथ-साथ युवा दिमाग को अपने पारिवारिक व्यवसायों और उद्यमिता को विकसित करने में सक्षम बनाने के लिए अवसर और शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
वेद प्रकाश मल्ल, सतीश शर्मा, प्रमोद दुबे, सत्या उपाध्याय, प्रवीण कलुगोटला, स्वामी सीके रजत मंडल, अजय तेनानी, नितिन शर्मा, प्रेमबीर सिंह, संजय राणा, गुंजन सिंह, सुदीप घोष ने बीएचयू की अपनी सुखद यादों के बारे में बात की और पूर्व छात्रों के नेटवर्क को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर सुझाव दिए। ने विशेष रूप से आईएम बीएचयू के पूर्व छात्रों के साथ चर्चा और जुड़ने के उद्देश्य से एक मोबाइल एप्लिकेशन के निर्माण का सुझाव दिया, जिसमें हर साल नए बैच जोड़े जा सकते हैं।
चर्चा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत गणेश वंदना से हुई और उसके बाद संस्थान पर एक वृत्तचित्र की प्रस्तुति दी गई। अतुल द्वारा एक एकल गीत प्रस्तुत किया गया, उसके बाद जलज और अंत में देब्रुपा दास ने प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में एक समूह नृत्य और ईक्यू भी शामिल था। डॉ. शशि श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। पूर्व छात्र अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद बहुत ही कम समय के नोटिस पर इस आयोजन के लिए एकत्रित हुए। डॉ. श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम को निर्बाध रूप से आयोजित करने के लिए छात्रों की सराहना भी की।
मेडिकल के पुरा छात्र-छात्राओं ने भी ताजा कीं पुरानी यादें

1997 MBBS बैच का सिल्वर जुबली कार्यक्रम पद्मश्री केएन उडुप्पा प्रेक्षागृह में कल संपन्न हुआ। इसमें 55 में से 40 पुरा छात्र छात्राएं सम्मलित हुए। मुख्य अतिथि बीएचयू के रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला रहे तथा डीन रिसर्च प्रो. अशोक चौधरी, प्रो आनंद कुमार, प्रो. एएन गांगुली, प्रो. जेपी ओझा समेत अन्य वरिष्ठ चिकित्सा विज्ञान संस्थान के शिक्षकों की उपस्थिति रही। इस सम्मेलन में न सिर्फ देश के विभिन्न कोनों से परंतु मॉरीशस, दुबई एवम ऑस्ट्रेलिया में बसे पुरा छात्र भी शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन 1997 बैच के ही पूर्व छात्र प्रो. विवेक श्रीवास्तव, डॉ. ऋचा, डॉ. आम्रपाली, डॉ. संदीप एवं डॉ. प्रज्ञा ने किया ने ।