वाराणसी। बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय के वाद्य विभाग में आयोजित सप्त दिवसीय कार्यशला के 6वे दिन रविवार को विख्यात सितार वादिका विदुषी रेशमा श्रीवास्तव आलाप के बारे में विद्यार्थियों बताया व समझाया कि आलाप किसी भी राग को प्रदर्शित करने का सबसे प्रथम व सशक्त माध्यम होता है।
दो स्वरों के घर्षण मात्र से यह ज्ञात हो जाना चाहिए कि कौन सा राग आप बजाने जा रहे हैं। आलाप में छोटे छोटे विराम देना बहुत आवश्यक होता है। आलाप में ठहराव आवश्यक होता है। तुरंत बहुत जल्दी- जल्दी बजाना सही नही है, बल्कि आलाप ऐसा होना चहिए कि यह सुनने में अच्छा लगे और हम राग के साथ न्याय कर पाएं।
उन्होंने बताया कि हम अलंकार के विभिन्न तरीकों तथा छन्दों का बहुत ही सुंदर प्रयोग के माध्यम से हम उसकी खूबसूरती को और भी निखार सकते है। उन्होंने रागों, बंदिशों विभिन्न कलाकारों को ज्यादा ज्यादा सुनने पर जोर दिया कान जितना पक्का होगा आपका हाथ उतना ही मजबूत होगा। उनके साथ मध्य लय में तीनताल मे सिद्धार्थ मिश्र ने तबले पर संगत की। कार्यशाल संयोजिका प्रो.संगीता सिंह, प्रो. राजेश शाह, व शोधार्थी सम्मलित रहे।