वाराणसी। बीएचयू के दृश्य कला संकाय की अहिवासी कला दीर्घा में आयोजित तीन दिनी चित्रकला कार्याक्रम का शनिवार को समापन हुआ। इस आयोजन की खासियत यह थी कि कलाकारों ने सुप्रसिद्ध रागों के आधार पर चित्रकारी की।
कार्यशाला संयोजक प्रो. राजेश शाह एवं डॉ. सुरेश चन्द्र जाँगिड़ ने बताया कि इस कार्यशाला में दृश्य कला संकाय के छात्र कलाकारों ने 10 रागों (बिलावल, भैरव, भैरवी, हिंडोल, मेघ, श्री, तोड़ी, आसावरी, बसंत और मालकौंस) पर आधारित चित्र बनाये। वाद्य संगीत विभाग की शोधार्थी वैशाली गुप्ता द्वारा चयनित ये राग भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रतिनिधि राग माने जाते हैं। यद्यपि एक ही राग की अनुभूति को प्रत्येक कलाकार ने सर्वथा अलग तरीके से रूपायित किया है, तथापि सूक्ष्म रूप से अवलोकन करने पर पता चलता है कि राग की मूल प्रवृत्ति सभी चित्रों में एक नये रूप में मुखरित हुई है।
प्रतिभागी कलाकारों आकांक्षा जायसवाल, आकस्मिता रॉय, अखिल यादव, अंशुल इक्का, चन्दन सिंह, गरिमा यादव, गौतम देव, जागृति गुप्ता, नेहा साहा, रजत कुमार पाण्डे, शिखा रावत, शिवनाथ विश्वकर्मा, श्वेता विश्वकर्मा, सुदीप्ता स्वर्णाकर, सुुमन मौर्य और विक्रम विश्वकर्मा ने अपने निजी दृष्टिकोण से संगीत का चित्रात्मक स्वरूप अंकित करने का प्रयास किया है। वाद्य संगीत विभाग की शोधार्थी वैशाली गुप्ता ने बताया कि उनके शोध का विषय संगीत और चित्रकला का यही अन्तरसम्बन्ध है। यह प्रदर्शनी उनके शोध कार्य में एक महत्वपूर्ण घटक सिद्ध होगी। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।
प्रदर्शनी का उद्घाटन दृश्य कला संकाय के संकाय प्रमुख प्रो. हीरालाल प्रजापति एवं मंच कला संकाय प्रमुख प्रो. के. शशि कुमार ने किया गया। इस अवसर पर चित्रकला के विभागाध्यक्ष प्रो. एस. प्रणाम सिंह, वाद्य संगीत विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण उद्धव, प्रो. शारदा वेलनकर, प्रो. रेवती साखलकर, प्रो. संगीता पण्डित, डॉ. विधि नागर, डॉ. दीपान्विता सिन्हा राय, डॉ. ज्ञानेश चन्द्र पाण्डेय समेत वाराणसी के प्रसिद्ध कलाकार तथा दोनों संकायों से विद्वतजन उपस्थित रहे।