दुबई। एक बार फिर वही 19वां ओवर और वही भुवनेश्वर कुमार। एशिया कप के सुपर-फोर के अपने दूसरे और महत्वपूर्ण मैच में भारत ने श्रीलंका के हाथों मैच गंवा दिया। इसके साथ ही टीम प्रायः एशिया कप से बाहर हो गई। भारत के 173 रन के स्कोर को श्रीलंका ने चार विकेट खोकर पार कर लिया। कुल मिलाकर यही रहा कि अंतिम दो ओवरों में वही कहानी दोहराई गई जो पाकिस्तान के खिलाफ मैच में लिखी गयी थी। इस बार कप्तान रोहित शर्मा के अर्धशतक को कुसल मेंडिस और पाथुम निसंका ने पचासा ठोककर बेकार कर दिया। श्रीलंकाई कप्तान शनाका को मैन ऑफ द मैच चुना गया।

अंतिम पांच ओवरों में श्रीलंका को जीतने के लिए 54 रन की जरूरत थी। 18वें ओवर में श्रीलंका के 150 रन पूरे हो गए। हार्दिक की गेंद पर कप्तान शनाका ने स्क्वायर लेग पर छक्का लगाकर टीम से दबाव हटा दिया। इस ओवर के बाद श्रीलंका को जीतने के लिए 12 गेंदों में 21 रन की जरूरत थी। 19वें ओवर में भुवनेश्वर ने फिर पुरानी गलती दोहराई। पहली दो गेंदों पर दो रन बनने के बाद दो वाइड फेकी। तीसरी और चौथी गेंद पर शनाका ने लगातार चौके जड़ दिए। अब आठ गेंद पर नौ रन की जरूरत थी। पहले तीन ओवर में 16 रन देने वाले भुवी ने अंतिम ओवर में 13 रन लुटा दिए। फिर छह गेंदों पर सात रन की जरूरत और गेंदबाज अर्शदीप थे। अंतिम ओवर की पहली, दूसरी गेंद पर एक-एक रन, तीसरी पर दो रन बना। अब तीन गेंदों पर तीन रन चाहिए थे। चौथी गेंद पर एक रन बना। पांचवीं गेंद पर बल्लेबाज चूके पर रन के लिए दौड़े। दोनों में से एक बल्लेबाज के रनआउट होने का मौका भी था, लेकिन थ्रो स्टम्प पर नहीं लगा और श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने दो रन लेकर टीम को लक्ष्य के पार करा दिया। कप्तान दासुन शनाका 18 गेंदों में चार चौके और एक छक्का तथा भानुका राजपक्षे 17 गेंदों पर दो चौके की मददसे 25 रन बनाकर अविजित रहे।
श्रीलंकाई पारी की शुरुआत काफी तेज रही। हालांकि भुवनेश्वर कुमार ने अपने पहले ओवर में सिर्फ एक रन दिया, लेकिन इसके बाद श्रीलंका के सलामी बल्लेबाजों पाथुम निसंका और कुसल मेंडिस ने तेजी से रन बटोरना शुरू कर दिया। श्रीलंका के 50 रन 5.2 ओवर में पूरे हुए। इसमें पांच चौके और दो छक्के शामिल थे। पावर प्ले के छह ओवरों में श्रीलंका ने बिना विकेट खोए 57 रन बना लिए थे।
आठवें ओवर में पहली बार अश्विन गेंदबाजी करने आए, लेकिन वह भी इस ओवर में प्रभाव नहीं छोड़ सके। उनके पहले ओवर में एक छक्के के साथ 11 रन बने। श्रीलंकाई बल्लेबाज बड़े स्ट्रोक खेलने के अलावा एक और दो रन के जरिये भी पारी बढ़ाकर भारतीय क्षेत्ररक्षकों पर दबाव डालते रहे। निसंका ने अपना अर्धशतक 10वें ओवर में अश्विन की गेंद पर एक रन लेकर पूरा किया। इस दौरान उन्होंने 33 गेंदों पर चार चौके और दो छक्के लगाए। 10वें ओवर में श्रीलंका का स्कोर बिना विकेट खोए 89 रन था।
आखिरकार चहल ने भारत को 12वें ओवर में पहली सफलता दिलाई। उन्होंने निसंका को रहित शर्मा के हाथों कैच कराया। रिवर्स स्वीप करने में चूके निसंका ने 37 गेंदों में चार चौके और दो छक्के की मदद से 52 रन बनाए। हालांकि वह टीम को सुरक्षित स्थिति में पहुंचा चुके थे। श्रीलंका का पहला रन 97 रन पर गिरा। इसी ओवर में दूसरा विकेट भी गिरा, जब चरिथा असलांका का हवा में खेला शॉट सूर्यकुमार ने स्क्वायर लेग पर पकड़ा। श्रीलंका 97 रन पर दो विकेट। श्रीलंका के 100 रन 13वें ओवर में पूरे हुए।
कुशल मेंडिस ने 13वें ओवर में 33 गेंदें खेलकर तीन चौके और तीन छक्के की मदद से अपना अर्धशतक पूरा किया। अश्विन ने 14वें ओवर में धनुष्का गुणतिलका को राहुल के हाथों कैच कराकर टीम में उत्साह का संचार कर दिया। श्रीलंका का तीसरा विकेट 110 रन पर गिरा। चहल ने 15वें ओवर में पहली गेंद पर मेंडिस को पगबाधा कर भारत की मैच में लगभग वापसी करा दी। मेंडिस ने 36 गेंद में चार चौके और तीन छक्के की मदद से 57 रन बनाए। 15वें ओवर में श्रीलंका का स्कोर चार विकेट पर 120 रन था। चहल ने चार ओवरों में 34 रन देकर तीन विकेट लिए। अश्विन ने चार ओवरों में 32 रन देकर एक विकेट लिया।
इसके पहले शुरुआती झटकों से उबरते हुए भारतीय टीम ने आठ विकेट पर 173 रन बनाए। हालांकि अंतिम ओवरों में श्रीलंकाई गेंदबाजों की विविधता भरी गेंदबाजी के चलते बड़ा स्कोर नहीं बन सका। अंतिम पांच ओवरों में भारत ने 46 रन बनाए और चार विकेट गंवाए।
केएल राहुल ने दूसरे ही ओवर में तीक्ष्णा की कैरम बॉल पगबाधा हो गए। हालांकि राहुल ने डीआरएस का इस्तेमाल किया, लेकिन यह विफल रहा। पहला विकेट 11 रन पर गिरा। तीसरे ओवर में स्टेडियम में भारतीय प्रशंसकों में सन्नाटा छा गया। मधुशंका की तीसरी गेंद को बिना लाइन में आए स्क्वायर लेग के ऊपर से मारने गए विराट कोहली के स्टम्प छिटक गए। इस समय ऐसे स्ट्रोक की जरूरत भी नहीं थी। कोहली चार गेंदें खेलकर खाता भी नहीं खोल सके। यह अहम विकेट 13 रन पर गिरा। इसके बाद रोहित और सूर्यकुमार यादव ने न सिर्फ पारी को संवारा बल्कि समय की मांग के मुताबिक स्ट्रोक खेलकर तेजी से रन भी जुटाए।
पावर प्ले खत्म होने के समय भारत का स्कोर दो विकेट पर 44 रन था। दो विकेट जल्दी गिरने के बाद रोहित आक्रामक तो रहे, लेकिन पिछले मैचों की तरह उन्होंने गैरजरूरी शॉट नहीं खेले। भारत के 50 रन आठवें ओवर की पहली गेंद पर पूरे हुए। नवें ओवर में हसरंगा की गेंद पर रोहित शर्मा को जीवनदान मिला, जब श्रीलंकाई कप्तान शनाका कवर में उनका एक कठिन कैच नहीं पकड़ सके। रोहित उस समय 27 के स्कोर पर थे। रोहित और सूर्यकुमार यादव के बीच तीसरे विकेट के लिए 50 रन की साझेदारी 31 गेंदों पर नवें ओवर में पूरी हुई।
रोहित शर्मा ने अपना इस टूर्नामेंट का पहला अर्धशतक 32 गेंदों पर पूरा किया। असिथा की चौथी गेंद पर पैडल स्वीप के जरिये फाइन लेग से चौका लगाकर रोहित इस मुकाम पर पहुंचे। यह इस साल उनका दूसरा अर्धशतक रहा। 13वें ओवर में करुणारत्ने की गेंद पर रोहित ने धैर्य खोया और शॉर्ट पिच गेंद पर कवर के ऊपर से छक्का लगाने की कोशिश की पर निसांका ने सीमारेखा पर उनका कैच पकड़ लिया। रोहित ने 41 गेंद पर पांच चौके और चार छक्के की मदद से 72 रन बनाए। उन्होंने सूर्या के साथ तीसरे विकेट के लिए 64 गेंदों पर 97 रन की साझेदारी की।
श्रीलंकाई कप्तान शनाका ने 15वें ओवर में सूर्यकुमार यादव को आउट कर भारत को बड़ा झटका दिया। धीमी गेंद को सूर्या समझ नहीं सके और थर्डमैन के ऊपर से मारने के प्रयास में तीक्ष्णा को कैच दे बैठे। उन्होंने 29 गेंदों में 34 रन की पारी में एक चौका और एक छक्का लगाया। 15वें ओवर में शनाका की अंतिम तीन में दो गेंदों पर ऋषभ पंत ने दो चौके लगाकर भारत का स्कोर चार विकेट पर 127 रन तक पहुंचा दिया। शनाका ने इसके बाद हार्दिक पांड्या को भी 149 के स्कोर पर निसंका के हाथों कैच करा दिया। हार्दिक ने जरूरत के मुताबिक स्ट्रोक खेला था पर इसे टाइम नहीं कर पाए। भारत के 150 रन इसी ओवर मे वाइड गेंदसे पूरे हुए। इसके तुरंत बाद दीपक हुड्डा ने शॉर्ट थर्डमैन पर कैच कराया, लेकिन यह कंधे के ऊपर होने के कारण नोबॉल करार दी गयी। श्रीलंका को धीमे ओवर रेट के कारण जुर्माना लगाया गया और अंतिम दो ओवरों में उसे एक अतिरिक्त खिलाड़ी 30 गज के घेरे में रखना पड़ा। 19वें ओवर में मधुशंका ने हुड्डा को बोल्ड कर दिया। इसीओवर में पंत भी मिडविकेट पर निसंका को कैच दे बैठे। यह धीमी गेंद थी। 20वें ओवर में भुवनेश्वर बोल्ड हो गए। यह आठवां विकेट था।
भारतीय एकादश में रवि बिश्नोई की जगह आर. अश्विन को शामिल किया गया। अश्विन का टीम में आना ठीक रहा, क्योंकि एक ऑफ ब्रेक गेंदबाजी विकल्प मिला, लेकिन बिश्नोई को बाहर करना समझ से परे रहा। बिश्नोई ने पाकिस्तान के खिलाफ बेहद कसी गेंदबाजी करने के अलावा यह भी दिखाया कि वह जरूरत पड़ने पर अंतिम समय में बड़े स्ट्रोक भी खेल सकते हैं।