वाराणसी। आईआईटी बीएचयू ने ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के साथ अकादमिक और अनुसंधान में सहयोग के लिए हाथ मिलाया है। इसके लिए ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय का एक दल मंगलवार को आईआईटी बीएचयू पहुंचा। इसमें खासतौर पर संयुक्त पीएचडी पर चर्चा की गई।
ऑस्ट्रेलियाई दल की अगुवाई कर रहे रिसर्च स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड इंजीनियरिंग में भौतिकी के प्रो. जगदीश चेन्नुपति और आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने उम्मीद जताई कि दोनों संस्थानों के छात्र-छात्राएं एक-दूसरे के पास मौजूद सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। इतना ही नहीं शिक्षक भी दोनों परिसरों में जाकर बेहतर अनुभव हासिल कर सकेंगे। प्रो. जगदीश ने चेन्नुपति और विद्या जगदीश कोष के बारे में भी जानकारी दी, जिसके जरिए आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ता अपने अनुसंधान के लिए ऑस्ट्रेलिया भी जा सकते हैं। प्रो. जैन ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए आईआईटी बीएचयू और एएनयू के बीच दीर्घकालिक सहयोग कायम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह छात्रों और शोधकर्ताओं को एएनयू में अध्ययन करने और पहले चरण में 12 सप्ताह तक सहयोगी अनुसंधान करने का अवसर देगा। बातचीत के दौरान ऑस्ट्रेलियाई दल के प्रो. एलेक्जेंडर मिखेवंद और जय पोरिया तथा संस्थान की ओर से प्रो. श्याम बिहारी द्विवेदी, प्रो. रजनीश त्यागी, प्रो. लाल प्रताप सिंह, प्रो. राजीव श्रीवास्तव, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. संजीव कुमार महतो और डॉ. प्रांजल चंद्रा मौजूद थे।
प्रो. जगदीश ने आईआईटी (बीएचयू) के युवा, जिज्ञासु और गतिशील छात्रों के साथ भी बातचीत की। नैनोटेक्नोलॉजी, फोटोनिक्स, हेल्थकेयर और टिकाऊ ऊर्जा सहित भौतिकी में अनुसंधान के सीमावर्ती क्षेत्रों सहित कई विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रो. एलेक्जेंडर मिखेयेव ने मधुमक्खियों को मॉडल जीवों के रूप में इस्तेमाल करते हुए अपने मेजबानों के साथ परजीवी/बीमारियों के सहविकास के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इस तरह की जांच किसी भी भविष्य की महामारी की गंभीरता का अनुमान लगाने में मददगार होगी और इस संबंध में भारत की एक बड़ी भूमिका है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की तुलना में भारत में आनुवंशिक रूप से विविध मधुमक्खी प्रजातियों की अधिकता पाई जाती है, जबकि आस्ट्रेलिया में केवल कुछ ही प्रजातियां हैं।