वाराणसी। बीएचयू के दृश्यकला संकाय में कबाड़ से ऐसी कलाकृतियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो न केवल सजावटी होंगी, बल्कि उनका दैनिक जीवन में इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। चार दिन की कार्यशाला गुरुवार को शुरू हुई। इसमें कुल 30 प्रतिभागी शामिल हैं।
कार्यशाला में मेटल, इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक के कबाड़ से कलाकृतियां बनाई जा रही हैं। इसका आयोजन स्क्रैप शिल्पी आर्टिस्ट ग्रुप की ओर से किया गया है। इस ग्रुप के संस्थापक सौरभ सिंह के नेतृत्व में 10 विशेषज्ञ प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। कार्यशाला के अंतिम दिन 17 अप्रैल को प्रतिभागियों की बनाई कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
सौरभ सिंह के मुताबिक यह ग्रुप बीएचयू के अभिकल्प नवप्रवर्तन केंद्र में स्टार्टअप के रूप में काम करता है। इसका लक्ष्य विभिन्न तरह के कबाड़ इकट्ठा कर इनसे उपयोगी और उत्तम स्तर की कलाकृतियों का निर्माण करना है। इनमें टेबल लैंप, टेबल कुर्सी और ऐसे ही अन्य सामान बनाए जा रहे हैं। इसका एक और सकारात्मक पहलू यह है कि कबाड़ का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
अभिकल्प नवप्रवर्तन केंद्र के समन्वयक डॉ. मनीष अरोड़ा ने बताया कि औद्योगिकीकरण के चलते कबाड़ इन दिनों बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। इनका इस रूप में इस्तेमाल करने से पर्यावरण को भी शुद्ध रखा जा सकता है। साथ ही कलाकारों की सृजनशीलता भी मजबूत होगी।